सत्संगदीक्षा एक आध्यात्मिक स्मृति शास्त्र है। प्रगट ब्रह्मस्वरूप महंत स्वामी महाराज द्वारा लिखित यह शास्त्र परब्रह्म भगवान स्वामिनारायण द्वारा प्रबोधित आज्ञा और उपासना के सिद्धांतों का संक्षेप में वर्णन करता है और मुक्ति का मार्ग दिखाता है। यह सत्संगदीक्षा शास्त्र ‘अक्षरपुरुषोत्तम संहिता’ नामक ग्रंथ के एक भाग के रूप में समाहित है, जिसमें शास्त्रीय शैली में नैतिकता, तत्त्वज्ञान और सत्संग के सिद्धांतों के विभिन्न आयामों को विस्तृत रूप में दर्शाया गया है। इस ग्रंथ को महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामीजी ने संस्कृत में श्लोकबद्ध किया है। इस पाठ्यक्रम में सत्संगदीक्षा शास्त्र के माहात्म्य और उसमें समाविष्ट सिद्धांतों का अध्ययन होगा. श्लोकों का गहन अभ्यास और उनके रहस्यों का ज्ञान प्राप्त होगा।
प्रमुखस्वामी महाराज के जन्म शताब्दी पर्व पर उद्घाटित यह सांप्रतकालीन शास्त्र मानव जीवन की दैनिक समस्याओं का समाधान प्रदान करता है। सत्संगदीक्षा शास्त्र के ३१५ श्लोकों में वैदिक सनातन धर्म का अर्क, सकल शास्त्रों का सार और भक्ति की परंपरा संमिलित है। यह सर्वग्राही शास्त्र सामाजिक समरसता का पोषण करता है। सत्संगदीक्षा में निर्दिष्ट नैतिक आचरण, सामाजिक अभ्यास और आध्यात्मिक ज्ञान के उपदेशों का पालन आज व्यापक साधकवर्ग के द्वारा किया जाता है।