अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन – तत्त्वज्ञान, इतिहास एवं प्रवर्तन

प्रस्तावना

भारतीय दर्शन परंपरा में वेदांत दर्शन की विविध शाखाओं में अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन एक अद्वितीय दर्शन है। परब्रह्म श्रीस्वामिनारायण भगवान के द्वारा प्रबोधित इस दर्शन में ‘अक्षररूप होकर पुरुषोत्तम की भक्ति करनी चाहिए’ यह मौलिक सिद्धांत समझाया गया है।

इस सिद्धांत का प्रवर्तन परब्रह्म स्वामिनारायण भगवान के अनुगामी अक्षरब्रह्म गुणातीत गुरुओं ने किया। उसमें से ब्रह्मस्वरूप श्रीशास्त्रीजी महाराज ने इस सिद्धांत को अनेक कष्ट सह कर मंदिरों में मूर्तिप्रतिष्ठा के द्वारा मूर्तिमान किया। ब्रह्मस्वरूप श्रीप्रमुखस्वामीजी महाराज ने स्वयं सिद्धांतपत्र लिखकर उसे स्थिरता दी। उन्होंने महामहोपाध्याय पूज्य भद्रेशस्वामीजी के द्वारा प्रस्थानत्रयी शास्त्रों के ऊपर अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन के निरूपक भाष्य ग्रन्थों की रचना करवा कर इस दर्शन को शास्त्रीय स्वरूप दिया। प्रकट ब्रह्मस्वरूप श्रीमहंतस्वामीजी महाराज ने ‘सत्संगदीक्षा’ शास्त्र रचना के द्वारा इसे जन-जन के हृदय तक पहुंचाया। वर्तमान समय में देश एवं विदेश के अनेक विद्वानों ने इस भाष्यग्रंथ तथा दर्शन निरूपक वादग्रंथ के ऊपर गहन विश्लेषण एवं परामर्श कर इसे समर्थन भी दिया है। आज प्रकट अक्षरब्रह्म गुरु के प्रसंग से लाखों अनुयायी से यह दर्शन जीवंत है।

इस तरह इस दर्शन का विशिष्ट तत्त्वज्ञान, इतिहास तथा प्रवर्तन एक गहन चिंतन और संशोधन का अपूर्व विषय सिद्ध होता है। इस संशोधन प्रक्रिया से दर्शन के आरंभिक काल में लिखे गए पत्र, पुरातन ग्रंथ आदि विषयों के आलोड़न द्वारा प्रमाणभूत माहिती प्रकाशित होगी।

विशेषतः संस्कृत भाषा, संस्कृत शास्त्र एवं वैदिक परंपरा के उद्धार के लिये ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामी महाराज ने सन. २०१३ में सारंगपुर में बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। इस स्थापना के साथ साथ यह महाविद्यालय श्रीसोमनाथ विश्वविद्यालय के साथ संलग्न हुआ। इन दोनों अवसर के १० वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस दशाब्दी अवसर पर बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संस्कृत महाविद्यालय तथा श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त उपक्रम में पंचदिवसीय आंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया है। यह परिसंवाद देश-विदेश के शोधार्थियों के लिए अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन विषयक विशिष्ट संशोधन का अमूल्य अवसर प्रदान करेगा।

आयोजक समिति

प्रो. श्रुतिप्रकाशदास स्वामी, निदेशक, आर्ष, गांधीनगर
महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी, अध्यक्ष, BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान, नई दिल्ली
डो. आत्मतृप्तदास स्वामी, सह प्रो., आर्ष, गांधीनगर
प्रो. सुकांत कुमार सेनापति, कुलपति, श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल
डो. दशरथ जादव, कुलसचिव, श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल

सहायक समिति

साधु ज्ञानतृप्तदास स्वामी, सहायक प्रो., बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संस्कृत महाविद्यालय, सारंगपुर
डो. जानकीशरण आचार्य, सहायक प्रो. एवं दर्शन संकाय अध्यक्ष, श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल
श्री सागर आचार्य, प्रधानाचार्य (का.), बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संस्कृत महाविद्यालय, सारंगपुर
श्री हितेष जानी, सहायक व्यवस्थापक, श्रीसोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल
श्री तेजस वाघेला, ग्रंथपाल, बी.ए.पी.एस. स्वामिनारायण संस्कृत महाविद्यालय, सारंगपुर

शोधपत्र संबंधित सूचना

शोधसारांश संबंधित सूचना

  • पंजीकृत प्रतिभागी ३१ अक्तूबर, २०२३ के समयावधि में अपना शोध सारांश ईमेल द्वारा [email protected] पर भेजें ।
  • चयन किए गए शोध सारांश की स्वीकृति की सूचना १५ नवम्बर तक दी जाएगी।
  • शोधसारांश में स्पष्ट रीत से प्रतिपाद्य विषय का उद्देश्य, शोध प्रविधि का प्रयोग एवं फल अवश्य लिखना चाहिए ।
  • प्रतिभागी छात्र ५०० शब्द में शोध सारांश लिखेंगे। शोध सारांश की भाषा संस्कृत, हिंदी, गुजराती एवं अंग्रेजी रहेगी ।
  • शोधसारांश MS Word में टाईप किया गया प्रेषित करें। संस्कृत/हिन्दी Kokila Font Size 18, अंग्रेजी में Cormorant Garamond Font Size 12, गुजराती में Noto Serif Font Size 14 में लिखे। चारों भाषाओं के Fonts इस लिंक पर प्राप्त होंगे।
  • Link – https://shorturl.at/dfsC1
  • शोधसारांश की समीक्षा के बाद चयनित प्रतिभागियों को ही भागग्रहण करने हेतु आमन्त्रित किया जायेगा ।

शोधपत्र संबंधित सूचना

  • १० जनवरी, २०२४ तक संपूर्ण शोधपत्र प्रेषित करने के पश्चात् ही संगोष्ठी में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा ।
  • यह संगोष्ठी ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनो माध्यम से होगी।
  • संपूर्ण शोधपत्र का लेखन २५०० शब्दों में करना होगा ।
  • शोधपत्र केवल सॉफ्ट कॉपी माध्यम से [email protected] ईमेल द्वारा स्वीकार्य है ।
  • प्रत्येक शोधपत्र का परीक्षण परीक्षणसमिति द्वारा होगा । परीक्षणसमिति द्वारा चयन किए गए शोधपत्रों की ही संगोष्ठी में प्रस्तुति होगी ।
  • चयनित प्रतिभागियों के निवास तथा भोजन की व्यवस्था महाविद्यालय द्वारा की जायेगी ।
  • शोधार्थी प्रतिभागी को यातायात का शुल्क स्वयं हि देना होगा।

अधिक जानकारी के लिए ईमेल: [email protected]
फोन नंबर: +९१ ९७२५२०५६०२/०३ संपर्क करें ।

पंजीकरण की अंतिम तारीख: 15 अक्तूबर 2023
शोध सारांश की अंतिम तारीख: 31 अक्तूबर 2023
संपूर्ण शोधपत्र की अंतिम तारीख: 10 जनवरी 2024

प्रस्तावित विषयों की सूची

  • वैदिक दर्शन परंपरा में अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन की विशेषता
  • अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन – अन्य दर्शनों के साथ संवाद
  • अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन में अक्षरब्रह्म गुरुओं का योगदान
  • अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन में संतों एवं भक्तों का योगदान
  • अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन के प्रवर्तन की विशेषता
  • ऐतिहासिक दृष्टि से – अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन
  • अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन की जीवंतता

पंजीकरण हेतु सूचना

  • परिसंवाद में शोधछात्र, अध्यापक और आचार्य कक्षा के छात्र भाग ग्रहण कर सकते हैं । यह परिसंवाद निःशुक्ल है।
  • परिसंवाद में भागग्रहण करने के लिए पंजीकरण करना आवश्यक है ।
  • Registration link – https://forms.gle/HaD5kGGQP2npqXAPA
  • १५ अक्तूबर के बाद पंजीकरण लिंक बंद की जायेगी ।

About BAPS Swaminarayan Sanskrit Mahavidyalay, Sarangpur
&
About Shree Somnath Sanskrit University, Veraval 
(Accredited by NAAC with A+ Grade)

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