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सत्संगदीक्षा अध्ययन

परब्रह्म भगवान स्वामिनारायण प्रबोधित
आज्ञा-उपासना के सिद्धांतों का निरूपण करनेवाले शास्त्र का अध्ययन

पाठ्यक्रम

‘सत्संगदीक्षा’ ग्रंथ भगवान श्रीस्वामिनारायण के छठवें आध्यात्मिक अनुगामी प्रकट ब्रह्मस्वरूप श्री महंत स्वामीजी महाराज ने अपने करकमलों से गुजराती भाषा में लिखा है।

यह ग्रंथ परब्रह्म श्रीस्वामिनारायण भगवान द्वारा प्रबोधित आज्ञा और उपासना के सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है। इस ग्रंथ को महामहोपाध्याय भद्रेशदास स्वामी ने संस्कृत में श्लोकबद्ध किया है। यह सत्संगदीक्षा ग्रंथ ‘अक्षरपुरुषोत्तम संहिता’ नामक ग्रंथ का एक भाग है। ‘अक्षरपुरुषोत्तम संहिता’ भगवान श्रीस्वामिनारायण द्वारा उपदिष्ट सिद्धांतों और भक्ति के विविध आयामों का विशदरूप से शास्त्रीय शैली में निरूपण करनेवाला शास्त्र है।

प्रमुखस्वामी महाराज के जन्म शताब्दी पर्व पर उद्घाटित यह सांप्रतकालीन शास्त्र मानव-जीवन की दैनिक समस्याओं का समाधान प्रदान करता है। सत्संगदीक्षा शास्त्र के ३१५ श्लोकों में वैदिक सनातन धर्म का अर्क, सकल शास्त्रों का सार और भक्ति की परंपरा संमिलित है। यह सर्वग्राही शास्त्र सामाजिक समरसता का पोषण करता है। सत्संगदीक्षा में निर्दिष्ट नैतिक आचरण, सामाजिक अभ्यास और आध्यात्मिक ज्ञान के उपदेशों का पालन आज व्यापक साधकवर्ग के द्वारा किया जाता है।

सत्संगदीक्षा अध्ययन – इस अभ्यासक्रम में सत्संगदीक्षा शास्त्र का माहात्म्य एवं उसमें निरूपित सिद्धांतों का अध्ययन होगा। श्लोकों की गहराई से व्याख्या होगी और उनमें निहित रहस्यों का ज्ञान प्राप्त होगा।

कोर्स के दौरान...

  • अक्षरपुरुषोत्तम दर्शन के मूल सिद्धांतों और नित्य साधनाओं को समझाया जाएगा।
  • वचनामृत, स्वामी की बातें और गुरुपरम्परा के वचनों के आधार पर सत्संगदीक्षा के श्लोकों के रहस्य की समझ दी जाएगी।
  • सत्संगदीक्षा के उपदेशों के आधार पर वर्तमान नैतिक और सामाजिक सिद्धांतों का विश्लेषण किया जाएगा।
  • शास्त्र के आधार पर मूल्यों और सदाचार का पोषण किया जाएगा।

प्रस्तुतकर्ता

BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान, स्वामिनारायण अक्षरधाम, नई दिल्ली

भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्वामिनारायण अक्षरधाम का सृजन करके ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामीजी महाराज ने सनातन धर्म की पताका समग्र विश्व के पटल पर फहराई है। स्वामिनारायण अक्षरधाम के भव्य संकुल में ही उन्होंने समग्र विश्व के ज्ञान पिपासुओं के लिए ‘BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान’ की स्थापना की है, जहाँ से सनातन वैदिक ज्ञान के उत्कर्ष के लिए अनेकविध प्रवृत्ति का संचालन होता है। प्रकट ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामीजी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से इस अभ्यासक्रम का प्रारम्भ BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान, नई दिल्ली के द्वारा हुआ है।

प्रतिभाव

सत्संगदीक्षा अध्ययन से अनेक के जीवन में परब्रह्म स्वामिनरायण प्रबोधित आज्ञा-उपासना के सिद्धांतों की स्पष्टता एवं पुष्टि हुई है। यहाँ एसे कुछ छात्रों की अनुभूति प्रस्तुत है।

कार्यक्रम

प्रत्येक सप्ताह में अध्ययन के लिए दो से चार वीडियो अपलोड किए जाएँगे, जिसे आप अपने समय की अनुकूलता के अनुसार देख सकेंगे। साथ में, अध्ययन की अनुकूलता के लिए उस वर्ग का अध्ययन साहित्य pdf के रूप में अपलोड होगा। अध्ययन सामग्री कोर्स की समयावधि तक छात्रों के लिए उपलब्ध रहेगी। स्वमूल्यांकन के लिए, प्रत्येक वर्ग के साथ बहुवैकल्पिक क्विज़ भी अपलोड की जाएगी। प्रत्येक सत्र के अन्त में ऑनलाइन परीक्षा होगी। समग्र अध्ययन के दौरान चार सत्रांत परीक्षा ली जाएगी।

सूचना – इस कोर्स में अध्ययन साहित्य एवं परीक्षाएँ हिन्दी भाषा में प्राप्य हैं परंतु अध्यापन गुजराती भाषा में किया जाएगा।

अध्ययन के विषय

वीडियो व्याख्यान

अभ्यासक्रम साहित्य

स्वमूल्यांकन परीक्षा (प्रत्येक श्लोक-निरूपण के बाद)

पूर्वपरीक्षा – प्रीटेस्ट (प्रत्येक सत्र के अंत में ली जानेवाली सत्रांत परीक्षा के एक सप्ताह पूर्व)

सत्रांत परीक्षा (हर तीन महिने, कुल 4 सत्रांत परीक्षा)

संदेशव्यवहार का माध्यम

पाठ्यक्रम के लिए संदेशव्यवहार प्रायः उस पाठ्यक्रम के लिए बनाए गए टेलिग्राम चेनेल के माध्यम से होगा। पाठ्यक्रम संबंधी माहिती, सूचनाएँ और महत्वपूर्ण घोषणाएँ टेलिग्राम चेनेल के माध्यम से सूचित की जाएँगी। सभी छात्र आसानी से संदेश प्राप्त कर सकें और महत्वपूर्ण जानकारी से ज्ञात रहें यहि इस टेलिग्राम चेनेल का उद्देश्य है। सत्रांत परीक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण अवसरों के बारे में सूचनाएँ ई-मेल के माध्यम से भी भेजी जाएँगी।

प्रमाणपत्र

परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान के द्वारा अभ्याक्रम की समाप्ति के बाद प्रमाणपत्र दिया जाएगा। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम ५०% अंक प्राप्त करने आवश्यक है। ९५%, ९०% या ८०% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को क्रमशः विशेष योग्यता, प्रथम श्रेणी तथा द्वितीय श्रेणी का प्रमाणपत्र प्राप्त होगा।

अभ्यासक्रम में जुड़ने के लिए योग्यता

  • 18 वर्ष से अधिक आयु वाले प्रत्येक व्यक्ति इस अभ्यासक्रम में प्रतिभागी बन सकते हैं।

अभ्यासक्रम की पूर्णता के लिए आवश्यकता

छात्र प्रत्येक वर्ग की वीडियो को देखें और अभ्यास साहित्य का पठन करें। एक वर्ग की वीडियो को देखने के बाद ही अगले वर्ग की वीडियो एवं सामग्री देख पाएंगे। प्रत्येक सत्र के अंत में सत्रांत परीक्षा होगी । सत्रांत परीक्षा में प्राप्त औसत गुणों के आधार पर ग्रेड प्राप्त होगा । अभ्यासक्रम पूर्ण करने के लिए औसत गुणों का ५०% से अधिक होना आवश्यक है।

आवेदन प्रक्रिया

फॉर्म भरें।

ऑनलाइन फॉर्म भरकर पाठ्यक्रम में आवेदन करें।

शुल्क का भुगतान करें।*

पाठ्यक्रम का भुगतान ऑनलाइन पूरा करें।

कोर्स शुरू करें।

एक बार भुगतान की पुष्टि हो जाने के बाद आप स्वतः ही पाठ्यक्रम में नामांकित हो जाएँगे।

इस कोर्स में जुड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन अभी बंध है।
आगामी अभ्यासक्रम जून २०२५ में शुरू होगा।
अगले पाठ्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन मई २०२५ से प्रारंभ होगा।

*  इस एक वर्षीय अध्ययन का शुल्क अप्रतिदेय (Non-Refundable)  है।

इस कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू है और १ अगस्त २०२४ तक शुरू रहेगी।
कोर्स का आरंभ ३ जून २०२४ से हो चुका है।

સંપર્ક

આ અભ્યાસક્રમમાં પ્રવેશ પ્રાપ્ત કરવા ઇચ્છતા હો અથવા અભ્યાસક્રમ અંગે કોઈ પ્રશ્ન તથા કોઈ ટેક્નિકલ મદદને ઇચ્છતા હો તો infossmv@baps.edu.in પર સંપર્ક કરવો અથવા રજીસ્ટ્રેશન પેજ પર  Help Desk ની મદદ લેવી.

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