ब्रह्मविद्या अध्ययन

परमतत्त्व परमात्मा एवं महान विभूतियाँ

अभ्यासक्रम

सनातन वैदिक धर्म का विशाल ज्ञान भंडार युगों से चार वेद, उपनिषद्, श्रीमद्भगवदगीता जैसे शास्त्र, रामायण-महाभारत जैसे इतिहास ग्रंथों में और श्रीमद् भागवत जैसे पौराणिक ग्रंथों में संगृहीत है और सनातन धर्म की परंपरा है। स्वयं भगवान ने समय-समय पर अवतीर्ण हो कर इस परंपरा को पुनर्जीवन प्रदान किया है। भारतवर्ष के सभी क्षेत्रों में प्रकट हुए महान संतों-भक्तों ने इस महान परंपरा का पोषण किया है। यह ऐसा ज्ञान है कि, जो इसे प्राप्त करता है वह दुःख एवं चिंता-शोक के पर हो जाता है। वह ब्रह्मरूप हो जाता है और परब्रह्म की भक्ति का अधिकार प्राप्त करता है।

ऐसे दिव्य ज्ञान को, सनातन धर्म की परंपरा को ‘ब्रह्मविद्या अध्ययन’ के द्वारा अत्यंत सरल भाषा में परन्तु गहराई से समझाने का उपक्रम है।

ब्रह्मविद्या अध्ययन किसी एक विषय का अभ्यासक्रम नहीं है, यह तो अभ्यासक्रम की श्रृंखला है । इस पूर्ण अभ्यास क्रम को एक-एक वर्ष के स्वतंत्र अभ्यास क्रम के रूप में विभाजित किया है। जिसकी विशेषता यह है कि, आप किसी भी अभ्यासक्रम से प्रारम्भ कर सकते है।

सनातन धर्म की पावक ज्ञानधारा मनुष्यों को पवित्र करती हुई युगों से अनवरित बह रही है। यह परब्रह्म परमात्मा का ही कर्तृत्व है। वे समय समय पर स्वयं इस पृथ्वी पर अवतरित हुए अथवा उन्होंने अपने विभूति स्वरुप संतों – भक्तों को भेजा, जिन्होंने अपने चरित्र एवं पुरुषार्थ से सनातन धर्म की इस ज्ञानधारा को परिमार्जित की।

ब्रह्मविद्या अध्ययन – परमतत्त्व परमात्मा एवं महान विभूतियाँ नाम के इस अभ्यासक्रम में परमतत्त्व परमात्मा, उनके अवतार एवं महान विभुतिओं के चरित्र एवं उनके भक्तिमय पुरुषार्थ का अध्ययन करें।

इस अभ्यासक्रम शृंखला में

  • सनातन हिन्दू धर्म में परमतत्त्व परब्रह्म भगवान संबंधित क्या सिद्धांत है?
  • परब्रह्म भगवान का पृथ्वी पर अवतरण क्यों होता है?
  • अवतार धारण करके उन्होंने कैसे दिव्य कार्य किए?
  • सनातन धर्म की यह महान परंपरा आज भी कैसे जीवंत है? इसमें किसका योगदान है?
  • सनातन हिन्दू धर्म की ऋषि परंपरा कैसी है?
  • महान संतों – भक्तों के चरित्र में ऐसी कौन सी विशेषता थी, जो आज भी सभी को प्रेरणा दे रहे हैं।
  • सनातन धर्म की महान परंपरा के रक्षण में महिलाओं एवं बालकों का योगदान कैसा है?
  • ऐसा उच्च चरित्रवान भक्तसमाज क्या आज भी हो सकता है?

इन सभी जिज्ञासाओं का समाधान इस सुआयोजित अभ्यासक्रम शृंखला में हमें प्राप्त होगा।

प्रस्तुतकर्ता

BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान, स्वामिनारायण अक्षरधाम, नई दिल्ली

भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्वामिनारायण अक्षरधाम का सृजन करके ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामीजी महाराज ने सनातन धर्म की पताका समग्र विश्व के पटल पर फहराई है। स्वामिनारायण अक्षरधाम के भव्य संकुल में ही उन्होंने समग्र विश्व के ज्ञान पिपासुओं के लिए ‘BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान’ की स्थापना की है, जहाँ से सनातन वैदिक ज्ञान के उत्कर्ष के लिए अनेकविध प्रवृत्ति का संचालन होता है। प्रकट ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामीजी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से इस अभ्यासक्रम का प्रारम्भ BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान, नई दिल्ली के द्वारा हुआ है।

कार्यक्रम

इस अभ्यासक्रम के दो सत्र रहेंगे। प्रत्येक महीने की दिनांक 1, 11 और 21 को अभ्यास वर्ग का विडियो अपलोड किया जायेगा, जिसे आप अपने समय की अनुकूलता के अनुसार देख सकेंगे। साथ में, उस वर्ग का अभ्यास साहित्य pdf के रूप में अपलोड होगा। स्वमूल्यांकन के लिए, प्रत्येक वर्ग के साथ प्रश्नमाला भी अपलोड होगी। प्रत्येक सत्र के अन्त में ऑनलाइन कसौटी होगी, जिसमें बहुवैकल्पिक (MCQ) प्रश्न पूछे जायेंगे।

अभ्यासक्रम के विषय

सत्र १ : परमतत्त्व परमात्मा एवं महान विभूतियाँ - १

अभ्यासक्रम की सामग्री

वीडियो व्याख्यान
वीडियो व्याख्यान
अभ्यासक्रम नोंध
अभ्यासक्रम साहित्य
प्रश्न बैंक
प्रश्न बैंक
स्वमूल्यांलन परीक्षा
स्वमूल्यांलन परीक्षा
सत्रांत परीक्षा
सत्रांत परीक्षा

सत्र २ : परमतत्त्व परमात्मा एवं महान विभूतियाँ - २

अभ्यासक्रम की सामग्री

वीडियो व्याख्यान
वीडियो व्याख्यान
अभ्यासक्रम नोंध
अभ्यासक्रम साहित्य
प्रश्न बैंक
प्रश्न बैंक
स्वमूल्यांलन परीक्षा
स्वमूल्यांलन परीक्षा
सत्रांत परीक्षा
सत्रांत परीक्षा

प्रमाणपत्र

अभ्यासक्रम के प्रत्येक सत्र के बाद छात्रों की सत्रांत परीक्षा ली जायेगी | इस परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को BAPS स्वामिनारायण शोध संस्थान के द्वारा अभ्याक्रम की समाप्ति के बाद ऑनलाइन प्रमाणपत्र दिया जायेगा | परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 50% अंक प्राप्त करने आवश्यक है | 90%, 80% या 70% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को क्रमशः विशेष योग्यता, प्रथम श्रेणी तथा द्वितीय श्रेणी का प्रमाणपत्र प्राप्त होगा |

अभ्यासक्रम में जुड़ने के लिए योग्यता

18 वर्ष से अधिक आयु वाले प्रत्येक व्यक्ति इस अभ्यासक्रम में प्रतिभागी बन सकते हैं।

अभ्यासक्रम की पूर्णता के लिए आवश्यकता

विद्यार्थी प्रत्येक वर्ग  की विडियो को देखे और अभ्यास साहित्य का पठन करें। प्रत्येक सत्र के अंत में सत्रांत परीक्षा होगी । सत्रांत परीक्षा में प्राप्त औसत गुणों के आधार पर ग्रेड प्राप्त होगा । अभ्यासक्रम पूर्ण करने के लिए औसत गुणों का 50% से अधिक होना आवश्यक है।

अभ्यासक्रम की पूर्णता के लिए आवश्यकता

विद्यार्थी प्रत्येक वर्ग  की विडियो को देखे और अभ्यास साहित्य का पठन करें। प्रत्येक सत्र के अंत में सत्रांत परीक्षा होगी । सत्रांत परीक्षा में प्राप्त औसत गुणों के आधार पर ग्रेड प्राप्त होगा । अभ्यासक्रम पूर्ण करने के लिए औसत गुणों का 50% से अधिक होना आवश्यक है।

आवेदन प्रक्रिया

पाठ्यक्रम आवेदन

ऑनलाइन फॉर्म भरकर पाठ्यक्रम में आवेदन करें।

भुगतान

पाठ्यक्रम का भुगतान ऑनलाइन पूरा करें।

अपना कोर्स शुरू करें

एक बार भुगतान की पुष्टि हो जाने के बाद आप स्वतः ही पाठ्यक्रम में नामांकित हो जाएँगे।

शुल्क

₹ 1,000

अप्रतिदेय (Non-Refundable)

इस एक वर्षीय अभ्याक्रम का शुल्क रु. 1000 अप्रतिदेय (Non-Refundable) है |

इस कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू है।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ३१ अगस्त २०२५ तक शुरू रहेगी।
कोर्स का आरंभ १ सितम्बर २०२५ से होगा।

संपर्क

यदि आप कोर्स में रुचि रखतें हैं, आपको कोर्स संबंधित प्रश्न हैं अथवा आपको कोई तकनीकी सहायता की आवश्यकता है, तो कृपया FAQs विभाग पर जाऍं या [email protected] पर हमारे Support Team का संपर्क करें।

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