Abstract
भारत के गुजरात राज्य के सीमावर्ती प्रदेशों में जनजाति समाज की जनसंख्या काफी अधिक है। पिछले कई वर्षो से इन पिछड़े आदिवासियों में स्वास्थ्य, शिक्षण, कृषि इत्यादि के प्रति जागरूकता लाने के लिए और उनके उत्कर्ष के लिए सरकार विविध योजनाओं के द्वारा अनेक प्रयास कर रही है। सरकार के साथ कुछ स्वैच्छिक समाजसेवी संस्थाएँ भी अपनी अपनी क्षमता और प्रभाव के अनुसार विभिन्न प्रयास कर रही हैं। परंतु इन पिछड़े आदिवासियों के उत्कर्ष के लिए गुजरात के महान संत पूज्य प्रमुखस्वामी महाराज के द्वारा बी.ए.पी.एस. संस्था के माध्यम से वर्षों तक जो प्रयास किए गए, उसका सकारात्मक परिणाम विशेषरूप से लोगों और अधिकारियों को प्रभावित करता रहा। अतः प्रस्तुत शोधपत्र में प्रमुखस्वामी महाराज द्वारा आदिवासी समाज के उत्कर्ष के लिए जो प्रयास किए गए, जिस तरह से प्रयास किए गए और उन प्रयासों का परिणाम क्या आया? इन विषयों पर प्रकाश डाला गया है। सामग्री के विश्लेषण के लिए अंतर्वस्तु-विश्लेषण (content analysis) पद्धति का उपयोग किया गया है। इस संशोधन के परिणामस्वरूप प्रमुखस्वामी महाराज ने किन किन क्षेत्रों में कार्य किया, उसका परिणाम कैसा मिला और उनको विशषतया सफलता मिली उसके पीछे उनकी कार्य-पद्धति की क्या विशेषताएँ है, इन सभी विषयों पर विशेष ज्ञान प्राप्त हुआ है, जिसका निरूपण प्रस्तुत शोधपत्र में किया गया है।